प्रकृति पर कविता : प्रकृति में बसंत ऋतु महत्ता - रवींद्र कुमार prakriti me basant ritu mehta - Ravindra kumar - Param Himalaya

प्रकृति में बसंत ऋतु महत्ता : मैं रविंद्र कुमार पुत्र श्री विक्रम सिंह,ग्राम मुंडेट,पोस्ट मंगलौर जिला हरिद्वार निवासी हूं। आप लोगो के समक्षक प्रकृति में बसंत के महत्त्व पर एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूं।

प्रकृति में बसंत ऋतु महत्ता

प्रकृति ने हमें विभिन्न ऋतुओं से है नवाजा,

उनमें बसंत ऋतु की अलग है महत्ता।

बसंत ऋतु है कितनी प्यारी निराली,

इसमें फैली है चारों तरफ सुंदर हरियाली।

धरा पर खिले है रंग-बिरंगे फूल,

जिनको देखकर हर किसी का

हृदय हो जाता है भाव विभोर।

खेतों में फैली दूर तलक रंग-बिरंगी हरियाली,

लगती ऐसी जैसे बिछी हो चादर मखमल की।

सरसों के फूलों पर जब मंडराते है,

मधुमक्खी और भंवरे लगते ऐसे जैसे खेल रहे है उनमें छोटे-छोटे नन्हें-मुन्ने बच्चे,

खेतों में जब लहलाते सरसों और मटर के पौधे

उन पर जब पड़ती है सूरज की किरणें,

लगती ऐसे जैसे चमक रही है स्वर्ण मुद्राएं।

आता है जब होली का रंग भरा पर्व,

तब त्याग देता है हर कोई ठिठुरन का डर।

क्योंकि बसंत ऋतु के आते ही,

धरती में होने लगता है नया विचरण।

इसलिए हर जुबां पर छाई ये कहानी,

अब आयी बसंत की ये ऋतु मस्तानी।

बसंत ऋतु का है जीवन में अपना ही महत्त्व,

जिससे प्रकृति में होता है नया बदलाव।

रविन्द्र कुमार - Ravindra kumar कविता


श्री रविन्द्र कुमार

प्रवक्ता हिंदी

पुलिस मॉर्डन सी.से.स्कूल,

40वी वाहिनी पीएसी हरिद्वार 

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