प्रयोग संख्या-1
उद्देश्य [Objective] :
विभवान्तर तथा विद्युत-धारा के मध्य ग्राफ खींचकर किसी दिए गए तार के प्रति सेमी का प्रतिरोध ज्ञात करना।
आवश्यक उपकरण तथा सामग्री (Necessary Apparatus and Material) :
- टर्मिनलनुमा एक शुष्क सेल (G-6 एवरीडी सेल)
- मोटे विधुतरोधी कॉपर की तार के 10 टुकड़े जिनके सिरे छिसे हुए हों
- एकमार्गी कुंजी
- अमीटर (0 - 1.5A)
- वोल्टमीटर (0 - 1.5V)
- धारा नियंत्रक (10 Ω)
- लगभग 2 Ω प्रतिरोधकता का प्रतिरोधी तार
- रेगमाल
सिद्धान्त (Principle) :
यदि किसी चालक के सिरों पर लगा विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा I हो, तब ओम के नियमानुसार,
V/I = नियतांक
जो चालक इस नियम का पालन करते हैं, उन्हें ओमीय चालक कहा जाता है तथा जो चालक इस नियम का पालन नहीं करते, उन्हें अन-ओमीय चालक कहा जाता है। ओमीय चालकों के लिए V तथा I के बीच ग्राफ एक सीधी सरल रेखा होती है, जबकि अन-ओमीय चालकों के लिए यह ग्राफ वक्र के रूप में होता है।
ओमीय चालकों के लिए, V तथा I के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहते हैं तथा इसे R से प्रदर्शित करते हैं।
R = V/I (नियतांक)
प्रयोग विधि (Experimental Procedure)
- संयोजक तारों के छिसे हुए सिरों को रेगमाल से रगड़ते हैं जिससे चमकदार कॉपर धातु दिखाई देने लगती है।
- एकमार्गी कुंजी K से प्लग हटा दें।
- संयोजक तारों की सहायता से कुंजी, धारा नियंत्रक, अमीटर तथा प्रतिरोधाक को चित्रानुसार श्रेणी क्रम में शुष्क सेल से जोड़ देते हैं।
- प्रतिरोधक से एक वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ते हैं।
- यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि वोल्टमीटर तथा अमीटर के धनात्मक तथा ऋणात्मक टर्मिनल ठीक प्रकार संयोजित हो गए हैं।
- प्रयोग करते समय ताप स्थिर रखते हैं कि अमीटर तथा वोल्टमीटर उपकरण कम्पनविहीन कमरे में हों।
- अब धारा नियंत्रक के स्लाइड को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं जिससे अमीटर 0.10 A धारा प्रदर्शित करने लगे।
- वोल्टमीटर से विभवान्तर का मान नोट करें।
- इसी प्रेक्षण को दोहराते हैं तथा विद्युत् धारा व विभवान्तर के मान सारणी में लिख देते हैं।
- अब कुंजी को दुबारा लगाते हैं तथा नियंत्रक के स्लाइड से अमीटर में 0.20 A विद्युत् धारा (नियन्त्रित) करते हैं, वोल्टमीटर से विभवान्तर का मान नोट करते हैं तथा इन मानों को पुनः लिखने लगते हैं।
- प्रयोग को विद्युत् धारा के 0.30 A, 0.40 A, 0.50 A, 0.60 A मानों के लिए बार-बार दोहराते हैं और प्रत्येक स्थिति में विभवान्तर का मान वोल्टमीटर से पढ़कर रिकॉर्ड कर लेते हैं।
प्रेक्षण (Observation) :
1. लम्बाई--
प्रतिरोधक तार की लम्बाई = ........ सेमी
2. पाठ--
दिए गए अमीटर के पाठ = ........ A
दिए गए वोल्टमीटर के पाठ = ........ V
3. अल्पतमांक--
अमीटर का अल्पतमांक = ........ A
वोल्टमीटर का अल्पतमांक = ........ V
4. शून्यंक त्रुटि--
अमीटर में शून्यंक त्रुटि $e_1$ = ........ A
वोल्टमीटर में शून्यंक त्रुटि $e_2$ = ........ A
5. शून्यंक संशोधन--
अमीटर के लिए शून्यंक संशोधन (-$e_1$) = ........ A
वोल्टमीटर के लिए शून्यंक संशोधन (-$e_2$) = ........ V
6. अमीटर तथा वोल्टमीटर पाठ्यांकों के लिए सारणी--
प्रतिरोध के मान का माध्य R = ........ \Omega.
विभवान्तर (V) तथा विद्युत धारा (I) के मध्य एक पैमाने के लिए V को Y-अक्ष पर तथा I को X-अक्ष पर लेते हैं। अब ग्राफ के आधार पर एक सरल रेखा के रूप में प्राप्त होता है जो आलेखित चित्र में प्रदर्शित है –
गणनाएँ (Calculations) :
1. प्रत्येक प्रेक्षण के लिए V/I का अनुपात ज्ञात करते हैं।
2. विभवान्तर (V) तथा धारा (I) के मध्य, V को X-अक्ष के अनुदिश तथा I को Y-अक्ष के अनुदिश लेकर ग्राफ खींचें। प्राप्त चित्र से के मान तक सरल रेखा प्राप्त होनी चाहिए।
ग्राफ से,
$\triangle ABC$ में, $\tan\theta = AB/CB= \triangle I/\triangle V$
$\cot\theta = \triangle V/\triangle I$
$R = \triangle V/\triangle I$
$R = \cot\theta$
$R = ........ \Omega$
3. स्थिर अनुपात V/I तार का प्रतिरोध व्यक्त करता है।
4. तार का प्रतिरोध प्रति सेमी = ........ \Omega सेमी⁻¹
परिणाम (Result) :
तार का प्रतिरोध प्रति सेमी = ........ \Omega सेमी⁻¹
सावधानियाँ (Precautions)
- संयोजक तारों के सिरे रेगमाल से अच्छी तरह साफ कर लेने चाहिए।
- विद्युत परिपथ के सभी बटनों को अच्छी तरह कसकर, मजबूती से कसना चाहिए।
- कुंजी को केवल तब तक लगाना चाहिए जब आप पाठ्यांकों को रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हों।
- प्रत्येक पाठ के पश्चात् कुंजी को हटा लेना चाहिए।
- यदि अमीटर अथवा वोल्टमीटर में शून्यंक त्रुटि हो तो प्रयोगशाला सहायक से सम्पर्क करें। इसे स्वयंम्भोग्य के रूप में व्यवस्थित कर के सही किया जा सकता है।
- वोल्टमीटर तथा अमीटर के धनात्मक टर्मिनलों, परिपथ में धनात्मक बिन्दुओं से ही जुड़ने चाहिए।
- 10 \Omega से अधिक प्रतिरोध वाले धारा नियन्त्रक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- परिपथ में धारा को न्यूनतम मान रखना चाहिए। परिपथ में अत्यधिक धारा, प्रतिरोधक का परिमाण परिवर्तित कर सकती है।
त्रुटि के स्रोत (Sources of Error)
- यदि परिपथ के घटकों को ढीला हो, संयोजक त्रुटियों से सही रीडिंग गलत हो तो प्रतिरोध का मान परिवर्तित हो सकता है।
- यदि कॉपर का तार मोटा है, एक समान नहीं हो प्रतिरोध का मान अशुद्ध प्राप्त हो सकता है।
- यदि परिपथ से धारा का मान अत्यधिक होगा अथवा परिपथ को लम्बे समय तक चालू रखा जाएगा तो प्रतिरोध का मान सही प्राप्त नहीं होगा।