चितई गोलू देवता के दरबार पहुँचे अतिथि शिक्षक, स्थायीकरण की ठोस नीति की उठाई मांग

चितई गोलू देवता के दरबार पहुँचे अतिथि शिक्षक, स्थायीकरण की ठोस नीति की उठाई मांग

चितई गोलू देवता के दरबार पहुँचे अतिथि शिक्षक, स्थायीकरण की ठोस नीति की उठाई मांग

दुर्गम में 10 साल सेवा के बाद भी असुरक्षा में अतिथि शिक्षक; सरकार की उपेक्षा से नाराज़, बोले—अब और इंतजार नहीं, सड़क से सदन तक करेंगे आंदोलन

अल्मोड़ा/देवना।

वर्षों से उत्तराखंड के दुर्गम विद्यालयों में निष्ठा और ईमानदारी से सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों का सब्र अब जवाब देने लगा है। अपने भविष्य और स्थायीकरण की मांग को लेकर माध्यमिक अतिथि शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड ने रविवार को चितई गोलू देवता के दरबार में सामूहिक हाजिरी लगाई और ज्ञापन सौंपकर सरकार को कड़ा संदेश दिया।

मंडल अध्यक्ष संतोष टम्टा के नेतृत्व में पहुंचे शिक्षकों ने कहा कि वे बीते एक दशक से कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा का अलख जगा रहे हैं, लेकिन सरकार आज तक उनके स्थायीकरण को लेकर ठोस निर्णय नहीं ले पाई। हर साल जनवरी और जुलाई में स्वयं पूल प्रक्रिया के जरिए अस्थायी नियुक्ति देकर सरकार उन्हें बार-बार असुरक्षा और अनिश्चितता की खाई में धकेल देती है।

शिक्षकों ने कहा कि सरकार और विभाग की इस उपेक्षा ने उनके भविष्य को अंधकारमय बना दिया है।

जिलाध्यक्ष श्रीमती डौलू धौनी ने कहा 

> “हम अब और चुप नहीं बैठेंगे। यदि हमारी स्थायीकरण की मांग जल्द पूरी नहीं की गई तो हम गोलू देवता के दरबार से लेकर सड़कों तक व्यापक आंदोलन छेड़ देंगे,”

एसोसिएशन ने चेतावनी दी।

ज्ञापन के माध्यम से अतिथि शिक्षकों ने न्यायप्रिय गोलू देवता से प्रार्थना की कि वे राज्य सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करें, ताकि शीघ्र ही अतिथि शिक्षकों के स्थायीकरण की ठोस नीति बन सके और उन्हें न्याय मिल सके।

अतिथि शिक्षकों की मुख्य मांगे

1. अतिथि शिक्षकों का शीघ्र स्थायीकरण किया जाए।

2. स्वयं पूल प्रक्रिया को समाप्त कर स्थायी नियुक्ति का प्रावधान किया जाए।

3. सेवा के आधार पर वरिष्ठता व अनुभव को मान्यता दी जाए।

4. नियमित शिक्षकों की भांति समान वेतन व सेवा सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।

5. सरकार अतिथि शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए स्पष्ट व ठोस नीति घोषित करे।

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