नाभिकीय विखंडन , नाभिकीय संलयन और तारों में ऊर्जा जनन , नियंत्रित ताप नाभिकीय संलयन - Nuclear Energy: Fission, Fusion, Stellar Energy Generation, and Controlled Thermonuclear Fusion"

नाभिकीय विखंडन , नाभिकीय संलयन और तारों में ऊर्जा जनन , नियंत्रित ताप नाभिकीय संलयन - Nuclear Energy: Fission, Fusion, Stellar Energy Generation, and Controlled Thermonuclear Fusion"

नाभिकीय विखंडन , नाभिकीय संलयन और तारों में ऊर्जा जनन , नियंत्रित ताप नाभिकीय संलयन - Nuclear Energy: Fission, Fusion, Stellar Energy Generation, and Controlled Thermonuclear Fusion"

नाभिकीय ऊर्जा 

नाभिकीय ऊर्जा वह ऊर्जा है जो किसी परमाणु के नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों को एक साथ बाँधने के लिए चाहिए।

वास्तव में यह ऊर्जा बंधन ऊर्जा (Binding Energy) होती है।

जब अलग–अलग न्यूक्लियॉनों से एक नाभिक बनता है तो उसका वास्तविक द्रव्यमान अपेक्षित द्रव्यमान से कम होता है।

यह कमी = द्रव्यमान क्षति (Mass Defect, Δm)।

आइंस्टीन के समीकरण से, यह ऊर्जा में बदल जाती है:

$E_b = \Delta m \, c^2/$

$\text{B.E./Nucleon} = \frac{E_b}{A}$

लोहे (Fe, A ≈ 56) और निकेल (Ni) के लिए यह सबसे अधिक है (~8.8 MeV)।

छोटे नाभिकों में B.E./nucleon कम → वे संलयन द्वारा स्थिर होते हैं।

बड़े नाभिकों (U, Pu) में B.E./nucleon भी कम → वे विखंडन द्वारा स्थिर होते हैं।

ऊर्जा उत्पादन तभी संभव है जब किसी अभिक्रिया में बने नाभिकों का B.E./nucleon पहले से अधिक हो।

इसका मतलब →

हल्के नाभिकों का संलयन (fusion) → ऊर्जा निकलती है।

भारी नाभिकों का विखंडन (fission) → ऊर्जा निकलती है।

1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)

परिभाषा

जब किसी भारी नाभिक (जैसे , ) पर धीमे न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है, तो वह दो हल्के नाभिकों में टूट जाता है और ऊर्जा + 2–3 न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है।

समीकरण

$^{235}_{92}U + ^1_0n \rightarrow ^{144}_{56}Ba + ^{89}_{36}Kr + 3 ^1_0n + 200MeV$

विशेषताएँ

  • लगभग 200 MeV ऊर्जा निकलती है।
  • यह ऊर्जा बाइंडिंग ऊर्जा के बढ़ने से आती है
  • उत्पन्न न्यूट्रॉन अन्य विखंडन कराते हैं → श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction)।
  • अनियंत्रित अभिक्रिया = परमाणु बम
  • नियंत्रित अभिक्रिया = नाभिकीय रिएक्टर, बिजली उत्पादन

2. नाभिकीय संलयन और तारों में ऊर्जा जनन
परिभाषा

जब दो हल्के नाभिक (जैसे , ) मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं, तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं।

समीकरण

$^2_1H + ^3_1H \rightarrow  ^4_2He + ^1_0n + 17.6 \, MeV$

विशेषताएँ : 

  • संलयन में प्रति न्यूक्लियॉन ऊर्जा, विखंडन से अधिक होती है।
  • सूर्य और तारे ऊर्जा इसी से प्राप्त करते हैं।
  • सूर्य में हाइड्रोजन का हीलियम में संलयन लगातार चलता है।
  • प्रत्येक चरण में ~MeV ऊर्जा निकलकर प्रकाश और ऊष्मा देती है।


3. नियंत्रित ताप नाभिकीय संलयन (Controlled Thermonuclear Fusion)

आवश्यकता

  • संलयन के लिए अत्यधिक उच्च तापमान और दाब चाहिए।
  • इतनी स्थिति पृथ्वी पर बनाना और नियंत्रित करना कठिन है।
  • टोकामक (Tokamak Reactor) में गर्म प्लाज़्मा को चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • लेज़र आधारित संलयन प्रयोग किए जा रहे हैं।
  • उद्देश्य : स्वच्छ, सुरक्षित और असीमित ऊर्जा स्रोत प्राप्त करना।

लाभ

  • रेडियोधर्मी कचरा नहीं निकलता।
  • ग्रीनहाउस गैसें नहीं बनतीं।
  • भविष्य में सबसे उपयुक्त ऊर्जा स्रोत।

सारांश 

  • विखंडन – भारी नाभिक टूटे → ऊर्जा (~200 MeV), न्यूट्रॉन → परमाणु रिएक्टर।
  • संलयन – हल्के नाभिक जुड़ें → ऊर्जा बहुत अधिक → सूर्य और तारों में ऊर्जा का स्रोत।
  • नियंत्रित संलयन – उच्च ताप/दाब पर, अनुसंधान जारी (टोकामक, लेज़र)।

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