Full Explain : अशुद्ध अथवा बाह्य अर्धचालक - दो प्रकार n - टाइप एवं p - टाइप अर्धचालक

Full Explain : अशुद्ध अथवा बाह्य अर्धचालक - दो प्रकार n - टाइप एवं p - टाइप अर्धचालक

अशुद्ध अथवा बाह्य अर्धचालक (Extrinsic Semiconductors) : 

निज (शुद्ध) अर्धचालकों की वैद्युत चालकता अति अल्प होती है परन्तु यदि किसी ऐसे पदार्थ की थोड़ी-सी मात्रा, जिसकी संयोजकता (valency) 5 अथवा 3 हो, शुद्ध जर्मेनियम (अथवा शुद्ध सिलिकॉन) क्रिस्टल में अपद्रव्य (impurity) के रूप में मिश्रित कर दें तो क्रिस्टल की चालकता काफ़ी बढ़ जाती है। मिश्रित करने की क्रिया को 'अपमिश्रण (doping)' कहते हैं। उदाहरणार्थ, $10^8$ जर्मेनियम परमाणुओं में 1 अपद्रव्य परमाणु मिश्रित कर देने पर, जर्मेनियम की चालकता 16 गुना तक बढ़ जाती है। ऐसे अशुद्ध अर्धचालकों को 'बाह्य (extrinsic) अथवा 'अपद्रव्य (impurity) अथवा अपमिश्रित (doped) अर्धचालक कहते हैं। इन अर्धचालकों में मिश्रित किये जाने वाले अपद्रव्य की मात्रा को नियन्त्रित करके इच्छानुसार चालकता अर्जित की जा सकती है।


बाह्य अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं: n-टाइप तथा p-टाइप


(a) n-टाइप अर्धचालक (n-type Semiconductor):

जब किसी जर्मेनियम (अथवा सिलिकॉन) क्रिस्टल में संयोजकता 5 वाला (pentavalent) अपद्रव्य परमाणु (जैसे आर्सेनिक, ऐण्टीमनी अथवा फॉस्फोरस) मिश्रित किया जाता है, तो वह जर्मेनियम के एक परमाणु को हटाकर उसका स्थान ले लेता है। अपद्रव्य परमाणु के पाँचों संयोजक इलेक्ट्रॉनों में से चार इलेक्ट्रॉन, अपने चारों ओर स्थित जर्मेनियम के चार परमाणुओं के एक-एक संयोजक इलेक्ट्रॉन के साथ सह-संयोजक बन्ध बनाते हैं तथा पाँचवाँ संयोजक इलेक्ट्रॉन बहुत कम ऊर्जा के व्यय से अपद्रव्य के परमाणु से अलग हो जाता है तथा क्रिस्टल के भीतर मुक्त रूप से चलने लगता है और ही अपद्रव्य के परमाणु से अलग हो जाता है तथा क्रिस्टल के भीतर मुक्त रूप से चलने लगता है और यह इलेक्ट्रॉन आवेश-वाहक (carrier) का कार्य करता है। इस प्रकार, शुद्ध जर्मेनियम में अपद्रव्य मिलाने से मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है अर्थात् क्रिस्टल की चालकता बढ़ जाती है। इस प्रकार के अशुद्ध जर्मेनियम क्रिस्टल को n-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें आवेश-वाहक (मुक्त इलेक्ट्रॉन) ऋणात्मक (negative) होते हैं। अपद्रव्य परमाणुओं को 'दाता (donor)' परमाणु कहते हैं क्योंकि ये क्रिस्टल को चालक-इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं।


(b) p-टाइप अर्धचालक (p-type Semiconductor):

 यदि जर्मेनियम (अथवा सिलिकॉन) क्रिस्टल में संयोजकता 3 वाले (trivalent) अपद्रव्य परमाणु (जैसे ऐलुमिनियम, बोरॉन, गैलियम अथवा इण्डियम) को मिश्रित किया जाये, तो यह भी एक जर्मेनियम परमाणु का स्थान ले लेता है। इसके तीन संयोजक इलेक्ट्रॉन तीन निकटतम जर्मेनियम परमाणुओं के एक-एक संयोजक इलेक्ट्रॉन के साथ मिलकर सह-संयोजक बन्ध बना लेते हैं, जबकि जर्मेनियम का चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन बन्ध नहीं बना पाता अतः क्रिस्टल में अपद्रव्य परमाणु के एक ओर रिक्त स्थान रह जाता है जिसे 'कोटर (hole)' कहते हैं। बाह्य वैद्युत क्षेत्र लगाने पर, इस कोटर में पड़ोसी जर्मेनियम परमाणु से बद्ध एक इलेक्ट्रॉन आ जाता है जिससे पड़ोसी परमाणु में एक स्थान रिक्त होकर कोटर बन जाता है। इस प्रकार, कोटर क्रिस्टल के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान में एक स्थान रिक्त होकर कोटर बन जाता है। इस प्रकार, कोटर क्रिस्टल के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान में एक स्थान रिक्त होकर कोटर बन जाता है। इस प्रकार, कोटर क्रिस्टल के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान में वैद्युत क्षेत्र की दिशा में चलने लगता है। स्पष्ट है कि कोटर एक धन-आवेशित कण के तुल्य है जो इलेक्ट्रॉन पर वैद्युत क्षेत्र की दिशा के सापेक्ष विपरीत दिशा में चलता है। इस प्रकार के अपद्रव्य मिले जर्मेनियम क्रिस्टल को p-टाइप अर्धचालक कहते हैं क्योंकि इसमें आवेश-वाहक (कोटर) धनात्मक (positive) होते हैं। अपद्रव्य परमाणुओं को 'ग्राही (acceptor)' परमाणु कहते हैं क्योंकि ये परमाणु धनात्मक कोटर बनाने की प्रक्रिया में शुद्ध अर्धचालक से इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करते हैं।


यह ऊर्जा जर्मेनियम क्रिस्टल के लिये 0.01 eV तथा सिलिकॉन क्रिस्टल के लिये 0.05 eV होती है।

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