Full Explain: शुद्ध अथवा निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor) ,

Full Explain: शुद्ध अथवा निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor) ,

शुद्ध अथवा निज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductor)

परिभाषा:

जिस अर्धचालक में किसी प्रकार की अशुद्धि (impurity) नहीं मिलाई जाती और जो पूर्णत: शुद्ध अवस्था में होता है, उसे शुद्ध अथवा निज (Intrinsic) अर्धचालक कहते हैं।

उदाहरण: सिलिकॉन (Si- z=14) और जर्मेनियम (Ge- z=32)

विशेषताएँ:

1. इसमें कोई अशुद्धि नहीं होती।

2. सिलिकॉन व जर्मेनियम के बाहरी कक्ष में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं, जो पास–पास के परमाणुओं से सहसंयोजक (covalent) बंध बनाते हैं।

3. 0 K (शून्य केल्विन) पर यह पूर्णत: कुचालक (insulator) होता है।

4. जब तापमान बढ़ाया जाता है तो ऊष्मीय विक्षोभ (thermal agitation) के कारण कुछ सहसंयोजक बंध टूट जाते हैं। इलेक्ट्रॉन वैलेन्स बैंड से conduction band में चला जाता है। पीछे छोड़ा गया स्थान होल (hole) कहलाता है। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन–होल जोड़े (electron–hole pairs) उत्पन्न होते हैं।

5. अर्धचालक की चालकता इलेक्ट्रॉनों और होल्स दोनों से होती है और दोनों की संख्या बराबर रहती है। 

$n_{e} = n_{h} = n_{i}$

जहां $n_{i}$ = 

6. तापमान जितना बढ़ेगा, उतनी अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन–होल जोड़े बनेंगे और चालकता बढ़ती जाएगी।

7. कमरे के तापमान (≈300 K) पर जर्मेनियम में लगभग 10⁹ (एक अरब) परमाणुओं में से केवल 1 परमाणु का सहसंयोजक बंध टूटता है। इसका मतलब अधिकांश परमाणु स्थिर रहते हैं और चालकता बहुत कम होती है।

बैंड सिद्धांत (Band Theory):

वैलेन्स बैंड: जहाँ सहसंयोजक इलेक्ट्रॉन रहते हैं।

कंडक्शन बैंड: जहाँ मुक्त इलेक्ट्रॉन जाकर धारा प्रवाहित करते हैं।

Energy Gap (ऊर्जा अंतराल):

सिलिकॉन → लगभग 1.1 eV

जर्मेनियम → लगभग 0.7 eV

 ऊष्मीय विक्षोभ के कारण इलेक्ट्रॉन इस गैप को पार करके conduction band में पहुँच जाते हैं।

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