Lyrics - चलें चलें हम निशिदिन अविरत, चले चले हम सतत् चलें , Chale Chale hum Nishdin avirat Chale Chale hum satat chale
चलें चलें हम निशिदिन अविरत, चले चले हम सतत् चलें
कर्म करें हम निरलस पल-पल, दिनकर सम हम सदा जलें।।
सोते नर का भाग्य सुप्त है, जागे नर का भाग्य जागता
उठने पर वह झट से उठता, पग बढ़ते ही वह भी बढ़ता -
आप्त वचन यह ऋषि मुनियों का, नर है नर का भाग्य विधाता
पुरखों की यह सीख समझकर, कर्मलीन हों सदा चलें।।1।।
आर्य धर्म को पुनः प्राणमय, करने निकले घर से शंकर
केरल से केदारनाथ तक, घूमे गुमराहों पर जयकर
विचरे अचल वनांचल मरुथल, ऐक्य तत्व का भाव जगाकर
उस दिग्विजयी की गति लेकर, कर्म करें कर्मण्य बनें।।2।।
गाड़ी मेरा घर है कहकर, जिसने की दिन रात तपस्या
मै नहीं तू ही तू यह जपकर, जिसने की माँ की परिचर्या
जय ही जय की धुन से जिसने, पूरी की जीवन की यात्रा
उस माधव के अनुचर हम नित, काम करे अविराम चलें।।3।।