कदम कदम पर बचा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो।।
मजबूरियां मेरी समझी तुमने, थामे रखा है हाथों को तुमने, रस्ते का कंकर हटा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो।।
कमियां कई है श्याम मुझमें, अपनाया मुझे संग पापों के तुमने, गुनाहों को ढकते ही जा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो।।
कैसे 'कमल' बता श्याम जीते, मर जाते ये जख्म सीते सीते, हाथों से मरहम लगा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो।।
कदम कदम पर बचा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो, ये तुम ही हो जो निभा रहे हो।।