Lyrics - रक्त शिराओं में राणा का रह-रह , Rakat sirao me rana ka rah rah

Lyrics - रक्त शिराओं में राणा का रह-रह , Rakat sirao me rana ka rah rah

Lyrics - रक्त शिराओं में राणा का रह-रह , Rakat shirao me rana ka rah rah


रक्त शिराओं में राणा का रह-रह आज हिलोरे लेता।

मातृभूमि का कण-कण, तृण-तृण, हमको आज निमंत्रण देता।।

वीर प्रसूता भारत माँ की हम सब बन्धु हैं संतानें,

हर विपदा जो माँ पर आती सहते हैं हम सीना ताने।

युग-युग की निद्रा को तजकर फिर है अपना गौरव चेता,

मातृभूमि का कण-कण……।।1।।

यह वह भूमि जहाँ पर नित-नित जुड़ता बलिदानों का मेला,

इस धरती के पुत्रों ने ही, हँस-हँस महामृत्यु को झेला।

हमको डिगा न पाया कोई अगणित आये विश्व-विजेता,

मातृभूमि का कण-कण……।।2।।

आज पुनः आक्रन्त हुई है मातृभूमि हम सबकी प्यारी,

उठो चुनौती को स्वीकारो युवकों आज हमारी बारी।

सीमा पर से अरिदल देखो हमको पुनः चुनौती देता,

मातृभूमि का कण-कण……।।3।।

कहीं न फिर हमसे छिन जाये देवभूमि कश्मीर हमारी,

समय आ गया खींचो वीरों कोषों से तुम खड्ग दुधारी।

मिटा विश्व से इन दुष्टों को बनें जगत के अतुल विजेता,

मातृभूमि का कण-कण……।।4।।

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