वीर गाथा कविता - जो केवल कहते नहीं, कर दिखलाते, Veer Gatha Poem Jo keval Kahte nhi kar dikhlate

वीर गाथा कविता - जो केवल कहते नहीं, कर दिखलाते, Veer Gatha Poem Jo keval Kahte nhi kar dikhlate

कविता "वीर गाथा" भावनात्मक और प्रेरणादायक है। इसमें वीरों की विशेषताओं को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।

वीर गाथा कविता - जो केवल कहते नहीं, कर दिखलाते, Veer Gatha Poem Jo keval Kahte nhi kar dikhlate 

वीर गाथा कविता - जो केवल कहते नहीं, कर दिखलाते, Veer Gatha Poem Jo keval Kahte nhi kar dikhlate

वीर गाथा

जो केवल कहते नहीं, कर दिखलाते,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

मुँह के वचन जो सदा निभाते,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

ज़िंदगी अगर केवल अपने लिए जिए, तो क्या जिए?

जो दूसरों की खातिर मिट जाए,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

हम लाख बचाएँ जीवन में ग़म,

जो हर हाल में मुस्कुराते,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

यहाँ तो मरते हैं रोज़ हज़ारों,

जो वतन पर मिट जाएँ,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

काँटे बिछाना राहों में आसान होता है,

जो राहों में फूल बिछाएँ,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

घर जलाना, आग लगाना सरल होता है,

जो उजड़े घर फिर से बसाएँ,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

कोई लाखों बार उन्हें सताए,

जो उफ़ तक न कर पाएँ,

वहीं सच्चे वीर कहे जाते।

वहीं सच्चे वीर कहे जाते...

Veer Gatha poster वीर गाथा


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